तुम!
अहं से भरे-
अनन्त आकांक्षा से युक्त,
समेट लेना चाहते हो सब,
परिधि में।
वो-
अनुरोध, आवश्यकता, अधिकार,
से तुम्हें देखती है-
तुम्हारी दृष्टि-
उसकी थाती है।
तुम्हारे इशारे-
लाते जीवन में मौसम।
पुलकित यौवन,
अनुराग के फूल से
महकती है फिजा,
अलौकिक सौन्दर्य,
असीम तृप्ति से भर-
स्नेह सिक्त नेत्रों से देखती है-
तुम्हें।
प्यार के क्षणों में तुम भी तो उतर आते हो-
मिट जाता है भेद।
कितनी शीतल,
स्निग्ध हो उठती है-
वह।
बदलना तुम्हारी फितरत है-
तुम्ही लाते हो-
पतझङ, उष्णता,...
वो बेरंग,बेनूर हो जाती है,
उठते है बवण्डर,
भीतर का ताप-
फूट उठता है ज्वालामुखी बन,
लावे के रूप में बह जाती है-
भावनाएं।
जानती है-
सीमा.. सृजन.. सृष्टि..
सहेज अपने दु:ख,
वो-
फिर करती है-
मौसम के बदलने का,
इन्तजार!!!
23 comments:
Mausam badalne kaa intezaar!Gar itna bhi intezaar na ho to shayad kuchh bhi na ho...
बहुत खूबसूरत,
सुगठित सुनिबद्ध ।
लेकिन रहस्यवादी भी !
बधाई ।
"तुम्हारे इशारे-
लाते जीवन में मौसम।"
बढ़िया!काफी जीवंत चित्रण किया है आपने.
बहुत मर्मस्पर्शी रचना !
सचमुच भावपूर्ण कविता है। एक ही कविता से आपने बहुत सारी बातें कह दी हैं। वह प्रकृति भी है और प्रेयसी भी।
ब्लाग पर पधारने के लिए आभारी हूं।
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति.
नारी की मानिंद प्रकृति की पीड़ा..... अधिकार के रोग से ग्रसित भोक्ता ...... उसके रवैये से निर्मित होता वातावरण..... उष्णता का निर्माता..... कब होगा यह बदलाव ?
सटीक अभिव्यक्ति।
बधाई।
nice post
अनुराग के फूल से
महकती है फिजा,
अलौकिक सौन्दर्य,
असीम तृप्ति से भर-
स्नेह सिक्त नेत्रों से देखती है-
तुम्हें।
बहुत खूब!!!!!!!!!!!!!!!!!
एक सच्चाई को उतार दिया है शब्दों में...बहुत सुन्दर
अति सुन्दर,-- आदि-शक्ति,अपरा, माया, प्रक्रिति,नारी, प्रेयसि =/सह/ = ब्रह्म, पराशक्ति,ईश्वर,पुरुष,नर,प्रेमी-----युगल क्रीडा का समन्वित -सामान्य से उठता हुआ दार्शनिक से तत्विक भाव तक जाता हुआ सांगोपांग वर्णन ....
....प्रसंशनीय रचना,बधाई !!
kashish hai is intzaar mein
सुन्दर अभिव्यक्ति।
अच्छी रचना, बधाई।
बहुत मर्मस्पर्शी रचना..बहुत सुन्दर
lovely...
Sachmuch, bahut khubsurat likha hai aapne...manmohak rachna par badhai sweekarein
शशक्त रचना .... बहुत अच्छा लिखा है बधाई ....
lovely
मंगलवार 22- 06- 2010 को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है
http://charchamanch.blogspot.com/
प्रकृति और प्रेयसी..दोनों के पास धैर्य की कोई कमी नहीं.
सुंदर रचना.
intzaar to hum karte hain apne jeevan me har cheej ka, har kisi ka ! magar wo intzar chupi rahti hain, bayan nahi hota! lekin aapne iss intzaar ko bahut hi acche tarike se istemaal kiya hain! apne lekhan ke jariye! dhanyawaad
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