के मध्य स्थित समतल भूमि में-
पूर्ण वैभव, दिव्य सादगी में
विनित स्वागतोत्सुक-
सेठानी का जोहङ
कोमल हृदय की अनुकृति उदार
जल में धङकनों का स्पंदन
किसी सम्राट-साम्राज्ञी की आत्मकेन्द्रित अनुकृति नहीं
स्व के पर हेतु उत्सर्ग की विराट चेष्टा
स्मृति हृद्य की उदारता, सौन्दर्य की
वर्षों से-
सूरज निहारता रहा है यौवन
सितारों की गुफ्तगू में शरमाकर
चाँद भी उतरता रहा होगा
प्यासे पशु, पक्षी, राहगीर को
देता रहा है-
तृप्ति, विश्राम, सुकून,
लोगों की मनोकामनाओं को संबल।
बांधा है परिवेश को-
विशिष्ट संस्कृति में,
एक दिन मैं भी काट दिया जाऊंगा
वक्त की बेरहम आरी से
किसी सूखे ठूंठ हो चुके पेङ की तरह
पर-
जब तक रहेगा जोहङ
सेठ-सेठानी की उदारता,
उतरती रहेगी
बुजुर्ग सीढियों से युवा धरातल पर,
सूरज निहारता रहेगा यौवन
शरमाकर उतरता रहेगा
चाँद।।
ऐतिहासिक सेठानी जोहङे की सफाई 2 राज बटालियन एन. सी. सी.,चूरू