Sunday, July 11, 2010

सेठानी जोहङे से

वक्त की आँधियों से रूपान्तरित टीलों

के मध्य स्थित समतल भूमि में-

पूर्ण वैभव, दिव्य सादगी में

विनित स्वागतोत्सुक-

सेठानी का जोहङ

कोमल हृदय की अनुकृति उदार

जल में धङकनों का स्पंदन

किसी सम्राट-साम्राज्ञी की आत्मकेन्द्रित अनुकृति नहीं

स्व के पर हेतु उत्सर्ग की विराट चेष्टा

स्मृति हृद्य की उदारता, सौन्दर्य की

वर्षों से-

सूरज निहारता रहा है यौवन

सितारों की गुफ्तगू में शरमाकर

चाँद भी उतरता रहा होगा

प्यासे पशु, पक्षी, राहगीर को

देता रहा है-

तृप्ति, विश्राम, सुकून,

लोगों की मनोकामनाओं को संबल।

बांधा है परिवेश को-

विशिष्ट संस्कृति में,

एक दिन मैं भी काट दिया जाऊंगा

वक्त की बेरहम आरी से

किसी सूखे ठूंठ हो चुके पेङ की तरह

पर-

जब तक रहेगा जोहङ

सेठ-सेठानी की उदारता,

उतरती रहेगी

बुजुर्ग सीढियों से युवा धरातल पर,

सूरज निहारता रहेगा यौवन

शरमाकर उतरता रहेगा

चाँद।।


ऐतिहासिक सेठानी जोहङे की सफाई 2 राज बटालियन एन. सी. सी.,चूरू









































Monday, July 5, 2010

मिणत

ठेठ

गांव रो

भोळो माणस

निपजाऊ

बणा”र राखै

मन रो खेत,

तोपै बीज

भलै विचारां रा,

निपजावै

हाङ-तोङ मिणत सूं

ईमान,सादगी,सरळता

री फसल।

जे ऊग आवै

छळ, कपट

अर

ऊंचो दीखंण री हूँस रो

अळसू-पळसू,

तो बचावै.. फसल

कर'र

संस्कारां रै कसीयै

सू निनांण।

फेरूं ई नीं बरसै

हेत रो बादळ,

कदे-ई मारज्या

अपसंस्कृति रो पाळो

अर कदे-ई लागज्या

बेबसी-लाचारी

कमजोरी-गरीबी रा

लट, कातरा…

फसल

होज्या चौपट

अर बिच्‍यारै रो खेत

रैयज्या

खाली रो खाली।।

Friday, July 2, 2010

साइकिल-समय की जरूरत

सभी छायाचित्र व अखबार की कटिंग हेतु मित्र दुलाराम सहारण-इन दिनों का हृदय से आभार-

साइकिल अभियान की शुरूआत को मीडिया का उत्साहजनक समर्थन.....राजस्थान पत्रिका व दैनिक भास्कर के साथ स्थानीय अखबारों में प्रमुखता के साथ अभियान को स्थान दिया गया-






























































साइकिल-समय की जरूरत

साइकिल-समय की जरूरत



ये कम्यूनिटी उन सभी साथियों का स्वागत करती है जो पर्यावरण संरक्षण,ऊर्जा के संसाधनों की बचत व स्वस्थ भारत के निर्माण हेतु साइकिल से अपने कार्यस्थलों पर जाते है व दैनिक जीवन में साइकिल के प्रयोग को बढावा देते है। 1 जुलाई,2010 को शुरू अभियान के कुछ दृश्य-