Sunday, July 11, 2010

सेठानी जोहङे से

वक्त की आँधियों से रूपान्तरित टीलों

के मध्य स्थित समतल भूमि में-

पूर्ण वैभव, दिव्य सादगी में

विनित स्वागतोत्सुक-

सेठानी का जोहङ

कोमल हृदय की अनुकृति उदार

जल में धङकनों का स्पंदन

किसी सम्राट-साम्राज्ञी की आत्मकेन्द्रित अनुकृति नहीं

स्व के पर हेतु उत्सर्ग की विराट चेष्टा

स्मृति हृद्य की उदारता, सौन्दर्य की

वर्षों से-

सूरज निहारता रहा है यौवन

सितारों की गुफ्तगू में शरमाकर

चाँद भी उतरता रहा होगा

प्यासे पशु, पक्षी, राहगीर को

देता रहा है-

तृप्ति, विश्राम, सुकून,

लोगों की मनोकामनाओं को संबल।

बांधा है परिवेश को-

विशिष्ट संस्कृति में,

एक दिन मैं भी काट दिया जाऊंगा

वक्त की बेरहम आरी से

किसी सूखे ठूंठ हो चुके पेङ की तरह

पर-

जब तक रहेगा जोहङ

सेठ-सेठानी की उदारता,

उतरती रहेगी

बुजुर्ग सीढियों से युवा धरातल पर,

सूरज निहारता रहेगा यौवन

शरमाकर उतरता रहेगा

चाँद।।


ऐतिहासिक सेठानी जोहङे की सफाई 2 राज बटालियन एन. सी. सी.,चूरू









































12 comments:

दुलाराम सहारण said...

उम्‍मेद जी,
सेठाणी के जोहड़े के विषय में सुंदर कल्‍पना।
बधाई।


जल संरक्षण अभियान में आप भी लाल टी शर्ट में लगे हैं। वाह । बहुत अच्‍छा कदम।

चैन सिंह शेखावत said...

इन उपेक्षित जल स्रोतों के प्रति ध्यानाकर्षण के प्रयासस्वरूप रची गई आपकी यह रचना बेहद प्रासंगिक और भावोत्तेजक है..
सामयिकता के होते हुए भी कविता का भाव-पक्ष कहीं से दुर्बल नहीं लगा ...
भाषा समग्रता में अपना असर छोडती है.
उम्मेद जी,
आपको एक सार्थक प्रस्तुति के लिये बधाई.

kshama said...

Bahut achhee rachana aur chitr...pahli baar johde ke vishay me padha..

पूनम श्रीवास्तव said...

bahut hi sashakt avam prabhavi karan liye hue behad sundar post.
pahale to sethani johade ki arth samajh me nahi aaya ,jab puri rachna padhi to samajh gai.
poonam

नरेन्द्र सिहाग said...

सेठाणी के जोहड़े के विषय में दिल को छू लेन वाली अतिसुन्दर रचना के लिए बधाई।

नरेन्द्र सिहाग said...

सेठाणी के जोहड़े के विषय में दिल को छू लेन वाली अतिसुन्दर रचना के लिए बधाई।

नरेन्द्र सिहाग said...

सेठाणी के जोहड़े के विषय में दिल को छू लेन वाली अतिसुन्दर रचना के लिए बधाई।

सुरेन्द्र सोनी said...

प्रेरणास्पद..!

स्वप्निल तिवारी said...

tasveeron ne kavita ka sath bakhubi nibhaya ....achha hua aapne johad dikha diya...:) badhiya prastuti..

Urmi said...

बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! चित्र भी साथ में बहुत सुन्दर हैं! बधाई!

सुनील गज्जाणी said...

उम्‍मेद जी,
सेठाणी के जोहड़े के विषय में सुंदर कल्‍पना।
बधाई।

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

प्रिय बंधुवर उम्मेद जी
घणैमान राम राम !
थांरै ब्लॉग पर आ'र घणो आछो लाग्यो …

बहुत सुंदर रचना "सेठानी जोहङे से" पढ़ कर बहुत अच्छा लगा । राजस्थान का परिचय कविता और चित्रों के माध्यम से ब्लॉगजगत को देने के लिए आभार !

कृपया, नई पोस्ट डालें तो मेल द्वारा सूचना अवश्य करें ।

शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं